अरुण यह मधुमय देश हमारा – जयशंकर प्रसाद यह कविता जयशंकर प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक ‘चंद्रगुप्त (1931) की विदेशी पात्र सिल्युकस की बेटी कार्नेलिया द्वारा गाया गया है। जयशंकर प्रसाद का समस्त साहित्य भारतीय संस्कृति और सभ्यता के गौरवगान की गाथा बनकर प्रस्तुत हुआ है। विदेशी सत्ता की हुकूमत से दबे, आतंकित और पीड़ित भारतीय जनता को उसके सुनहरे अतीत की याद दिलाने के लिए हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक धारा का साहित्य रचा जा रहा था। उनमें जयशंकर प्रसाद के नाटकों का बड़ा योगदान है। उन्होंने पराधीन भारतीय जनमानस में यह आत्मविश्वास भरने का कार्य किया कि वे जिस देश में रह रहे हैं, वह देश पूरी धरती पर अपनी सुंदरता और प्राकृतिक वैभव के लिए जाना जाता है। शिक्षा, संस्कृति, योग, नीति और ज्ञान की विभिन्न परंपराएं यहीं पर जन्मी हैं। भारत के इसी वैभव की संपन्नता को महसूस करके सिल्युकस की पुत्री कार्नेलियी ‘चंद्रगुप्त’ नाटक में भार...
‘पत्नी’ (कहानी) : जैनेन्द्र कुमार समीक्षा और सारांश कहानी के पात्र – पति-पत्नी ( कालिंदीचरण और सुनंदा ) इस कहानी में जैनेन्द्र जी ने भारतीय समाज की पुरुष सत्तात्मक व्यवस्था के भीतर आदर्श स्त्री और पत्नी बने रहने के बोझ तले दबी स्त्री पात्र सुनंदा की जीवन व्यथा का चित्रण किया गया है। वह अपनी पीड़ा को किसी से कह नहीं पाती। केवल अपने मानसिक जगत में अपनी जीवन स्थितियों के बारे में उचित-अनुचित निर्णय करती रहती है। जैनेन्द्र जी मनोवैज्ञानिक श्रेणी के रचनाकार हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में पात्रों के मनोभावों को आधार बनाकर परिस्थितियों को समझने का रास्ता तैयार किया है। सुनंदा ऐसी ही पात्र है, जो अपने क्रांतिकारी पति कालिंदीचरण को देवता की तरह पूजती है। कहानी की शुरुआत रसोई में बैठी सुनंदा के चिंताजनक और उदासीन परिवेश से होती है। वह अकेली रसोई में बैठी अपने पति के आने का इंतज़ार करती हुई भूखी बैठी है। भारतीय समाज में यह प्रथा है कि पत्...
पूरी दुनिया अनेक घटनाओं, अनेक चित्रों से भरी पड़ी है। जिधर देखो कुछ न कुछ घट रहा है। आप चाहकर भी नजरें नहीं बचा सकते उनसे। कई दुःखदायी दृश्य भी देखने पड़ते हैं। ऐसे दृश्यों का गवाह बनना सत्य का पक्षधर बनना है। और यह जरूरी भी होता है। ऐसे में कैमरे की नजरें सारे दृश्यों को कैद करती रहती हैं। किसी काम करते हुए व्यक्ति को दुनिया के सामने कैमरे की नज़र बड़े सुंदर तरीके से पेश कर सकती है। ये तो हो गई श्रम के सौंदर्य रूप को देखने का नजरिया पेश करने का। कुछ गुमनाम उजाले भी अपनी क्रियाओं से दुनिया को रोशन करते रहते हैं, लेकिन उन्हे कोई देखने वाला नहीं होता। पर वे अपनी प्रतिभा से दुनिया को रोशन करते रहते हैं। चुपचाप। जैसे ये चित्र - आप भी गुमनाम होकर भी दुनिया को रोशन कर सकते हैं। उसके लिए जितना कैमरे की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए, उतनी ही अच्छी क्वालिटी की दृष्टि या नजरिया भी। इसलिए जब मन करे, जहाँ कुछ अच्छा लगे, वहाँ मोबाइल का कैमरा निकालिए और क्लिक कर डालिए। बहुत अच्छे कैमरे के इंतज़ार में कई दृश्य छूटे जा रहे हैं। लग जाओ दोस्तों। फ़ोटोज़ by - साधारण मोबाइल कैमरा
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